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मातृभाषा हिंदी के महत्व पर विचार साझा किए गए
जयपुर। शुक्रवार 10 जनवरी 2025 को प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा विश्व हिंदी दिवस बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपकुलपति डॉ. अंकित गांधी मुख्य अतिथि और प्रोवोस्ट डॉ. राजीव कुकड़ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। इसके पश्चात डॉ. वंदना सिंह ठाकुर (अधिष्ठाता, विशेष शिक्षा विभाग) ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और अन्य स्टाफ सदस्यों का स्वागत करते हुए विश्व हिंदी दिवस का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन हिंदी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने और इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प लेने का अवसर है। हिंदी न केवल एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है बल्कि यह करोड़ों भारतीयों को एकजुट करने का माध्यम भी है।
डॉ. आर.के. शर्मा (सहायक अधिष्ठाता) ने बताया कि 10 जनवरी 2006 को भारत सरकार ने विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी, और तभी से इसे हर साल मनाया जा रहा है। उन्होंने इस दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति हमारा दायित्व याद दिलाता है।
डॉ. भुवन चंद्रा (अकादमिक अधिष्ठाता) ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा होने के साथ-साथ हमारी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यह दिवस हमें हिंदी भाषा के गौरवशाली इतिहास और इसकी प्रासंगिकता की याद दिलाता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राजीव कुकड़ ने कहा कि हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं के तालमेल ने ज्ञान प्राप्ति को और सरल बना दिया है। उन्होंने हिंदी भाषा की प्रासंगिकता को आज के समय में और अधिक महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य अतिथि डॉ. अंकित गांधी ( उपकुलपति) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जिक्र करते हुए कहा कि मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना बच्चों के लिए अधिक प्रभावी और स्मरणीय होता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का समापन भावना रावत (सहायक आचार्य, विशेष शिक्षा विभाग) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विशेष शिक्षा विभाग की सीमा चौधरी, भावना रावत, हसन दीन खान, फार्मेसी विभाग के स्टाफ सदस्य और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर डॉ अंशु सुराना ने बताया विश्व हिंदी दिवस के इस आयोजन ने हिंदी भाषा के प्रति न केवल जागरूकता बढ़ाई बल्कि इसे नई पीढ़ी के बीच एकता और गौरव का प्रतीक बनाने का संदेश दिया।