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पुराने समय के गीतों "चली चली रे पतंग मेरी चली रे..." से लेकर आज के गीत "अकेले हैं तो क्या गम है..." द्वारा एक रंगारंग संगीत भरी शाम का आयोजन
जयपुर। चित्रांश आर्ट्स एंड कल्चर सोसाइटी के चित्रांश कलाकारों द्वारा गुरुवार, 04/01/2024 की शाम 5.30 बजे से 1960-70 दशक के महान संगीतकार चित्रगुप्त और 1980 के उनके पुत्र आनंद - मिलिंद श्रीवास्तव के द्वारा संगीतबद्ध किए हुए मस्त, मनमोहक, कर्णप्रिय गीतों से भरी एक शाम, हार्मोनी द लीजेंड चित्रगुप्त आनंद मिलिंद रंगायन, जवाहर कला केन्द्र, जे. एल. एन. मार्ग, जयपुर में सजाई गई।
कार्यक्रम के निदेशक राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिल्म निर्माता- निर्देशक अमित श्रीवास्तव और विशिष्ट अतिथिगण दीप प्रकाश माथुर सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी, समाज सेवक, नन्द बिहारी माथुर समाज सेवक, मीता माथुर समाज सेविका, डॉ. अंकुर सिन्हा, नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. सुधीर कल्ला सेवानिवृत् अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम, पूनम सोनी व्यवसाई, श्रीमती उषा रानी माथुर समाज सेविका, अशोक सोनी व्यवसाई, शरद सोनी व्यवसाई थे।
कार्यक्रम में कायस्थ समाज के लगभग 30 गायक कलाकारों ने अपने मधुर आवाज़ में गीतों की इस शाम को मनमोहक और कर्णप्रिय बनाया। पुराने समय के गीतों चली चली रे पतंग मेरी चली रे से लेकर आज के गीत अकेले हैं तो क्या गम है गीत तक प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं ही हो से करी गई, फ़िर गणेश वंदन तत्पश्चात गायक कलाकारों ने गीत चली चली रे पतंग मेरी जितेंद्र नाग व प्रेरणा माथुर, अकेले हैं तो क्या गम राजीव श्रीवास्तव - प्रगति सिन्हा, कैसा लगता है ऐश्वर्या माथुर - ईशा माथुर, प्यार में दिल दे दिया मैंने विकास सक्सेना - रेखा नाग, जानम मेरे जानम रिचा माथुर - रविंद्र रवि,
क्या करते थे साजना जितेंद्र जौहरी - संध्याशील, छेड़ो ना मेरी जुल्फ़ें अम्बे माथुर - सुमन माथुर, जोड़ी हमारी जमेगा कैसे देवेंद्र सिन्हा - रिचा माथुर, आके तेरी बाहों में अतुल माथुर - वर्षा श्रीवास्तव, चांदनी रात है आलोक रुपराय - वर्षा श्रीवास्तव, ये परवतों के दायरे मनीष माथुर - पूनम माथुर, कोयल सी तेरी बोली धर्मेंद्र माथुर - अरुणा सक्सेना, ओ पिया पिया क्यूँ गोविंद स्वरूप माथुर - ज्योति बाला माथुर,
ऐ मेरे हमसफर जे.पी. माथुर - अरुणा सक्सेना, साथिया तूने ये क्या किया संजय माथुर - रुचिका माथुर, इक रात में दो दो... रवि माथुर - श्वेता माथुर, लागी छूटे ना अब तो... राकेश माथुर, मीरा सक्सेना, गज़ब का है दिन... डॉ. केशव श्रीवास्तव - डॉ. मीतू माथुर, कितना प्यार तुम्हें... दीपेंद्र माथुर - वंशिका कुलश्रेष्ठ आदि गायकों ने अपनी कलाकारी प्रस्तुति कर समां बाँध कर दर्शकों की वाही वाही लूटी।
कार्यक्रम का मंच संचालन जितेन्द्र नाग, सपना और संजय माथुर द्वारा किया गया। जिन्होंने सधे अंदाज़ से खचाखच भरे हॉल के भारी मात्रा में उपस्थित दर्शकों को एक सूत्र में बांधे रखा। अन्त में कार्यक्रम के निदेशक राकेश श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद और आभार प्रकट किया।