निवेदक - प्रीतम दाधीच
चुनाव आते ही ~
ये फ्री, ये सस्ता ......
इस पे सब्सिडी, इस पर छूट
अपनी जेब से कोई ना देता
ये तो है बस सियासती लूट
सस्ता सिलेंडर
फ्री में कुछ नही मिलता
चुकानी पड़ती है कीमत
हमे अब जानना है यह
कहां से आयेगी राहत
फ्री में कुछ ..............
समय वो याद है हमको
बुकिंग कई दिन की होती थी
सिलेंडर गैस के चक्कर में
मशक्कत खूब होती थी
कभी हम ब्लैक देते थे
कभी करते थे हम मिन्नत
फ्री में कुछ .................
बुकिंग करते ही अगले दिन
सिलेंडर घर में आता है
हमारा वक्त बचता है
सूकूं बड़ा दिल को आता है
ये सस्ता देने वालो की
भली कैसे हुई नीयत
फ्री में कुछ .............
जरूरत सोचने की है
ये सस्ता कैसे आएगा
इसे लेने के चक्कर में
दलाली कोई तो खायेगा
बना कर हमको बेचारा
चलेगी किसकी सियासत
फ्री में कुछ .............
लालच में मत आओ - वोट को अपनी ताकत बनाओ ।।