मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर तत्काल लूट को रोकने का आग्रह
(रामपाल जाट) |
इसके अतिरिक्त खरीद केन्द्रों पर छानाई (ग्रेडिंग) की मशीनों एवं मजदूरो की स्वेच्छाचारी दरो से होने वाली लूट अलग है। इसके उपरांत अभी तक भी कुल उत्पादन में से सरसों 0.47 एवं 1.43 प्रतिशत की ही खरीद की गई है। केंद्र सरकार द्वारा कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत से अधिक खरीद पर प्रतिबन्ध आरोपित कर देने से 75 प्रतिशत उपजे तो न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बहार की हुई है।
25 प्रतिशत अनुसार सरसों एवं चना की उपजो की खरीद का निर्धारित लक्ष्य भी पूरा संभव नही है क्योकि 1 माह व्यतीत होने के उपरांत निर्धारित लक्ष्य में से सरसों की 2 प्रतिशत तथा चने की 5.74 प्रतिशत ही खरीद हो पाई है, जो निर्धारित लक्ष्य के तिहाई का दशांश भी नही है । जबकी खरीद की अधिकतम अवधि 90 दिन की रखी गई है जिसकी गणना 1 अप्रैल से आरम्भ होकर 30 जून को पूर्ण हो जायेगी।
सरकार की उदासीनता एवं ढिलाई का उत्कृष्ट उदहारण है कि सरकार द्वारा स्वीकृत 637 खरीद केन्द्रों में से 215 खरीद केन्द्रों में तो खरीद ही आरम्भ’ नही की गई। दूसरी और जिन केन्द्रों पर खरीद शुरू की गई वह भी नियमित्ता का अभाव के साथ कई केन्द्रों पर नामात्र की खरीद ही की गई है।
एक निर्धारित अवधि में अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान फिसड्डी रहा है, जिसमे सरसों की खरीद जहां हरियाणा में 82.22 प्रतिशत है, वही राजस्थान में यह खरीद 3.08 प्रतिशत है। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश से भी पीछे बना हुआ है।
यही स्थिती चने की है जिसमे महाराष्ट्र की खरीद 82.84 प्रतिशत है जबकी राजस्थान की खरीद 1 प्रतिशत भी नही है, यानि 0.72 प्रतिशत है। इतनाही नहीं तो मध्यप्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश से भी राजस्थान पीछे बना हुआ है।
इस संबंध में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर तत्काल लूट को रोकते हुए खरीद को गति प्रदान करने का आग्रह किया है।