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किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने ज्ञापन के साथ किसानों के पक्ष की प्रस्तुति हेतु समय चाहने के लिए प्रधानमंत्री को भेजा पत्र
जयपुर। राजस्थान की जीवन रेखा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से 200,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई एवं अजमेर, जयपुर ,दौसा, अलवर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, धौलपुर एवं भरतपुर यानी 13 जिलों की 40% जनता को पीने का मीठा पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में जयपुर, अजमेर एवं हिंडौन की सभाओ में घोषणा की थी। जिसमें राजस्थान के विकास हेतु इस परियोजना के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया था।
इस आश्वासन की पूर्ति की दिशा में वर्ष 2019 को ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की कमान राजस्थान को सौंप दी गई। कमान संभालने वाले का मन पूर्वाग्रह एवं दुराग्रह से ग्रसित होने से उनका कार्य नकारात्मक रहा। इसी कारण अभी तक इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया जा सका है बल्कि इस परियोजना से 2,02,482 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई एवं 80878.44 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई को पुनर्जीवित करने के लिए 26 बांधों को लबालब करने के प्रावधान को हटा कर इस परियोजना के पलीता लगाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
इससे 13 जिलों में भूजल स्तर में सुधार की संभावनाएं भी समाप्त हो जाएगी। इस प्रकार केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय इस परियोजना को आगे बढ़ाने में भागीदारी करने के स्थान पर इसे रोकने पर उतारू है। इस स्थिति से अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री से किसानों ने ज्ञापन के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु समय प्रदान करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के आव्हान पर राजस्थान की जनता ने 25 में से 25 सांसदों को लोकसभा में भेजा है। इसलिए इस परियोजना में समुचित भागीदारी के लिए जनता की सहज आकांक्षाएं प्रधानमंत्री से है।