News from - गोपाल सैनी
जयपुर .“खेत को पानी फसल को दाम” के लिए प्रदेश के किसान 24 फरवरी को पदयात्रा करते हुए जयपुर में 28 फरवरी को शहीद स्मारक पर पहुंचेंगे. यह पदयात्रा जयपुर के चारों ओर से आरंभ होगी. बीकानेर मार्ग पर सीकर जिले के भ्रम्चारी आश्रम - श्रीमाधोपुर से उदयपुर-अजमेर मार्ग पर जयपुर जिले के दूदू से दिल्ली – जयपुर मार्ग पर जयपुर जिले के त्रिवेणी धाम - शाहपुरा से, झालावाड़ - कोटा मार्ग पर टोंक जिले के कृषि मंडी निवाई से, भरतपुर - धौलपुर मार्ग पर जिला मुख्यालय दौसा से 24 फरवरी को प्रातः 11:00 बजे से आरम्भ होगी.
जिसमे प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलने का कार्यक्रम रहेगा. इस यात्रा में भाग लेने वाले किसानों के लिए भागीरथ संकल्प पत्र भरे जा रहे हैं. ये सभी भगीरथ पदयात्रा में भागीदारी करेंगे, इसके लिए कार्यकर्ताओं को 1 दिन में न्यूनतम पांच भागीरथ बनाने का दायित्व सौंपा गया है.
इसी प्रकार 100 संकल्पधारी भगीरथो के सम्मेलनों के लिए प्रभारियों की व्यवस्था की गई है, जिनमें चोमू में भागीरथ घठाला, श्रीमाधोपुर - ज्ञान चंद मीणा, शाहपुरा – हेमचंद, दूदू - बलदेव महरिया, झोटवाड़ा – घासीराम फगोडिया, झुंझुनू पिलानी – बजरंग लाल नेहरा, अलवर - मालाखेड़ा - हरिराम जाटव, टोंक - रामेश्वर पिंटू इसके साथ शाहपुरा में संरक्षक के रूप में शहापुर नगरपालिका के चेयरमैन रहे परमानन्द पलसानिया चंद्रभान पलसानिया, दूदू में जगदीश नारायण चौधरी प्रदेश महामंत्री श्रीमाधोपुर संरक्षक सुंदरलाल भंवरिया बानसूर में प्रदेश अध्यक्ष मुसद्दी लाल यादव और साहित्यकार सुरेश बिजारणिया को इन कामों के लिए नियुक्त किया गया है अपनी ओर से इस कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए डीजल और गाड़ी देने के लिए इनमे से कइयो ने घोषणा की है.
उल्लेखनीय है कि 21-22 जनवरी को त्रिवेणी धाम शाहपुरा की 2 दिवसीय कार्यशाला में चिंतन के आधार पर कार्यक्रमों की रचना की गई। इसके पूर्व 15 जनवरी को प्रदेश स्तरीय लिये ज़ूम मीटिंग के प्रस्ताव के उपरांत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट सहित कार्यकर्ता निरंतर प्रयास कर रहे हैं. जिसमें अभी तक चूरू, झुंझुनू, अलवर, जयपुर टॉक जिलों का एक चक्कर पूरा कर लिया गया है.
दूसरे दौरे में कोटा बूंदी से संकल्प धारी सो सो भगीरथो के सामूहिक संकल्प के टोंक, दूदू, चोमू, शाहपुरा, श्रीमाधोपुर, बानसूर, मालाखेड़ा, पिलानी, के आयोजनों को अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसी में सवाई माधोपुर, झोटवाड़ा, के आयोजनों के प्रस्ताव आए हुए हैं. इस संबंध 15 जनवरी की मीटिंग में सर्वसम्मति से पारित किया गया प्रस्ताव निम्न है :
“खेत को पानी फसल को दाम के लिए किसानों द्वारा विधानसभा के लिए जयपुर कूच
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई जिसमें पदाधिकारियों द्वारा सुझावों के अनुसार 28 फरवरी 2023 को 4 मार्गों से पैदल ही चलकर किसान विधानसभा का घेराव करेंगे।
भारत कृषि प्रधान देश है। संविधान में कृषि राज्य का विषय हैं
प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि एवं सिंचाई पर 31% व्यय करने का प्रावधान किया गया था। इसी से भाखड़ा नागल एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना जैसी वृहद परियोजनाएं धरातल पर उतरी। जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान आई तथा राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई।
खेत को पानी से देश की मिट्टी सोना उगलती है तथा उत्पादन में जादू होता है। इसके उपरांत भी बजटो में सिंचाई को प्राथमिकता प्राप्त नहीं हुई। देश की 60% तथा राजस्थान की 70% भूमि सिंचाई से वंचित है। इसी क्रम में फसलों के दाम प्राप्त हो जावे तो किसान ऋण लेने वाला नहीं रहेगा वरन ऋण देने वाला बन जाएगा।
फसलों के दाम हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून आवश्यक है
12 वर्ष पूर्व दूदू से आरंभ यह आंदोलन देशव्यापी बनकर सर्वाधिक चर्चित है। इस प्रकार का कानून राजस्थान सरकार भी बना सकती है। कृषि उपज मंडी अधिनियम में इस प्रकार के प्रावधान है किंतु वे बाध्यकारी(आज्ञापक) नहीं है। इसके लिए एक शब्द बदलने तथा "नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही आरंभ" होगी जोड़ने से किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी दाम प्राप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
बजट में सिंचाई परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर राशि आवंटित की जा कर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को पूरा किया जावे। इसी के साथ इस परियोजना में साबी एवं अन्य नदियों को जोड़ा जावे। हरियाणा के साथ हुए समझौते की पालना में यमुना का पानी सीकर ,झुंझुनू, भरतपुर में लाने के लिए सार्थक सफल प्रयास किए जावे।
बारां जिले की बहुउद्देशीय परवन सिंचाई परियोजना एवं पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए विधानसभा में संकल्प लाया जावे। पाकिस्तान सहित पड़ोसी राज्यों में व्यर्थ बहकर जा रहे पानी तथा विद्यमान सिंचाई परियोजनाओं के पानी का सही प्रकार से उपयोग हेतु कार्य योजना बनाकर उसके सफल क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
किसानों की आय की सुधार के लिए प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली हानि की भरपाई हेतु प्रति हेक्टेयर 50000 रुपये का प्रावधान करने एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की नीति एवं क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने की भी उतनी ही आवश्यकता है। इसी प्रकार समय पर खाद,बीज, किटनाशक, बिजली-पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जावे।
किसान तू रहेगा मौन तो तेरी सुनेगा कौन
अतःकिसान भाइयों काम छोड़कर पैदल ही जयपुर विधानसभा तक पहुंचने का संकल्प व्यक्त करें। इस हेतु भागीरथ बने और अधिकाधिक संख्या में भागीरथ तैयार करें।