News from - गोपाल सैनी (कार्यालय सचिव-किसान महापंचायत)
किसानो के लम्बे संघर्ष की बड़ी जीत
जयपुर, आज प्रात: गुरुपर्व एवं देव दीपावली के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से तीन कानूनों की वापसी की घोषणा स्वागत योग्य कदम है किन्तु न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनना अभी अधरझूल में है जबकि किसानो को उनकी उपजों के दाम इसी कानून से मिलेंगे।
इन तीन कानून की वापसी के बाद किसान 4 जून 2020 की स्थिति में आ जायेंगे जिसके 10 वर्ष पूर्व से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के लिए जयपुर जिले के दूदू से आरम्भ हुआ आन्दोलन देशव्यापी बना है । आश्चर्य है कि 56 वर्ष होने के उपरांत भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति “दूर की कौड़ी” बनी हुई है . इसलिए किसानो को अपनी उपजें न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर बेचने को विवश होना पड़ता है ।
अनेकों अवसरों पर तो किसानो को उनकी उपजों के लागत मूल्य भी प्राप्त नहीं होते है - यथा राजस्थान में बाजरे का एक क्विंटल का उत्पादन खर्च सरकार के अनुसार 1550 रुपये प्रति क्विंटल है और किसानो को वही बाजरा 1300-1400 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचना पड़ रहा है । यही स्थिति मूंग, चना, मक्का जैसी अन्य उपजों की रहती है ।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के कानून की घोषणा की प्रतीक्षा है । इस प्रकार की घोषणा नहीं होने पर किसान संघर्षरत रहेंगे ।