From - Narendra Singh "Babal"
उस्तादों को सलाम करने वाले
(N.Singh "Babal") महताब हो गये ,
गोया गधे भी अब तो
घोड़ों के भाव हो गए |सिरफिरे कहते हैं तोबड़े शौक़ से कहो,तमाशबीन भी अब तोसलाहकार हो गये |जिनके हाथों में बड़ी उम्मीद सेकमान सम्भलाई थीवो मासूम चेहरेआदमखोर हो गये |रहने दे बबल येये क्रान्तिगिरि का सबक,जो फिसड्डी थे आज वो हीसभी के उस्ताद हो गये |