News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)
जयपुर। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के चलते केंद्र और राज्य सरकारों ने दसवीं और बारहवीं कक्षा की सीबीएसई, आईसीएसई और आरबीएसई बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी। परीक्षा निरस्त होने के बाद अब परीक्षा शुल्क के नाम पर अभिभावकों से लिया गया परीक्षा शुल्क लौटाने की मांग उठने लगी है। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि "परीक्षाओ को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को विकल्प तलाशने की आवश्यकता थी, किन्तु सवा सालों में कोई भी विकल्प नही तलाशे गए, केंद्र और राज्य सरकारों की इसी नाकामी के चलते अभिभावकों और विद्यार्थियों ने ऑफलाइन परीक्षा रद्द करने की मांग करनी पड़ी।
संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि " सत्र 2020-21 की परीक्षाएं निरस्त होने से बोर्डो को परीक्षा कार्यों में विभिन्न मदों में होने वाला व्यय जैसे परीक्षा केंद्रों का व्यय, परीक्षकों पर व्यय, उत्तर पुस्तिकाएं बनवाने और जांचने में होने वाला व्यय, परिवहन व्यय, परीक्षा केंद्रों की वीडियो, फ़ोटो ग्राफी का व्यय व अन्य प्रशासनिक व्यय इत्यादि की बचत हुई है।
अभिषेक जैन ने कहा कि परीक्षा निरस्त करने के विभिन्न कारण हो सकते है किन्तु सबसे प्रमुख कारण सरकारों और प्रशासन की नाकामी है, जो सवा साल में परीक्षाएं करवाने के विकल्प तक तलाश ना सके। जबकि केंद्र और राज्यों ने विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए ऑनलाइन के विकल्प की अनुमति तो दी किन्तु वह केवल निजी स्कूलों की फीस वसूली तक समिति रह गया। केंद्र और राज्य सरकार ने ऑनलाइन को विकल्प माना नही और ऑफलाइन एक्जाम पर अड़ी रही. जिसका अभिभावकों और विद्यार्थियों ने पुरजोर विरोध किया। अब जब केंद्र और राज्य सरकार ने बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी है तो सीबीएसई, आईसीएसई और आरबीएसई बोर्ड को परीक्षा के लिए लिया गया परीक्षा शुल्क वापस लौटया जाना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने छात्र हितों की दुहाई देकर परीक्षाएं निरस्त करने की घोषणा तो कर दी किन्तु अब तक परीक्षा शुल्क वापस लौटने के निर्णय पर कोई जानकारी नही दे रहे है। अकेले राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाओ के लिए प्रदेश के 21 लाख अभिभावकों से 140 करोड़ से अधिक की राशि जुटाई थी. जबकि सीबीएसई बोर्ड ने करीबन 1500 करोड़ से अधिक जुटाएं है। आईसीएसई बोर्ड ने अलग जुटाए इसके अलावा अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्ड ने अलग से जुटाएं वह भी अलग है। प्रदेश का अभिभावक पहले ही ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगा हुआ महसूस कर रहे है. अब बोर्ड परीक्षाओं के शुल्क का संशय भी अभिभावकों के माथे पर डाला जा रहा है।