योग की तरह शिक्षा के महत्व को भी जन-जन पहुंचाने की आवश्यकता - अरविंद अग्रवाल

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान) 

 विश्व अंतराष्ट्रीय " योगा " दिवस 

स्कूलों में बचपन से पढ़ाएं सेहत का पाठ, योग को पाठ्यक्रम में शामिल कर, अलग से परीक्षा भी निर्धारित करें - संयुक्त अभिभावक संघ 

     जयपुर। सोमवार को पूरा विश्व अंतराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा था, जो देश की संस्कृति, सभ्यता और स्वास्थ्य के लिए अतुलनीय है। योग दिवस के अवसर पर संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि " आज कॉरोनकाल ने हमें सिखा दिया है की जिस प्रकार योग के बिना अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना बेकार है. ठीक उसी प्रकार शिक्षा के बिना देश का बेहतर भविष्य अधूरा है। "

     संघ ने कहा कि " वर्तमान परिस्थितयो में व्यापार का केंद्र बनकर रह गई शिक्षा के लिए शिक्षाविदों को नए सिरे से सोचने और मौजूदा शैक्षिक नीतियों को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है। शिक्षा को एक नए आयाम पर ले जाने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्यों को देश और शिक्षा की प्रगति के विशेष उपाय करने जरुरी है। 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि देश की संस्कृति, सभ्यता और स्वास्थ्य के लिए योग की जितनी महत्वता है ठीक उसी प्रकार शिक्षा का भी बहुत महत्व है, योग को पढ़ने, समझने और समझाने के लिए एक मात्र शिक्षा ही है जो सबसे बेहतर संसाधन है और कम समय मे जन-जन तक पहुंच सकती है। योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए शिक्षा और उसके संसाधनों को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। 

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि सिर्फ एक दिन योग करने और दिवस मानाने से लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं होगी । संयुक्त अभिभावक संघ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करता है कि इसकी शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए, ताकि बच्चों में यह आदत बन जाये। 

योग को प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल कर, अलग से परीक्षा भी निर्धारित करें केंद्र और राज्य सरकार

     संघ प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने केंद्र और राज्य सरकार से अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने और उसके महत्व शिक्षा के माध्यम से पहुंचाने के लिए " योग " को प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है। 

     प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा का कहना है कि योग को समझने के लिए प्रतिदिन पढ़ने की आवश्यकता है, अगर यह पाठ्यक्रम में शामिल होता है तो आने वाली पीढ़ी सदियों तक योग के महत्व को समझेगी। शिक्षा विभाग द्वारा योग को बढ़ावा देने के लिए और बच्चों की इसमें सहभागिता जोडऩे के लिए योग प्रतियोगिताएं भी करवाई जाये।  

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि योग के चमत्कार को तो पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है इसी वजह से दुनिया के अधिकांश देशों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब समय आ गया है कि हम भी अपनी शिक्षा पद्धति के बारे में पुनर्विचार करें और उसे नए सिरे से तराशें, क्योंकि हमारे पास अब दुनिया तक पहुंचने का ऐसा मौका है जो अब से पहले कभी नहीं था। और  इन तमाम बदलावों को साकार करने के लिए संयुक्त अभिभावक संघ दृढ़ प्रतिज्ञ है।