News from - अभिषेक जैन बिट्टू
बड़ी संख्या में जुटे अभिभावक संगठनों के प्रतिनिधि
शिक्षा है व्यापार नही, यह लूट हर्ब स्वीकार नही की भरी हुंकार
दिल्ली। स्कूल फीस को लेकर विवाद थमने का नाम नही ले रहा है. रविवार को निजी स्कूलों की हठधर्मिता खिलाफ और केंद्र व राज्यों की खामोशी के खिलाफ राजस्थान, यूपी और हरियाणा के अभिभावक एकजुट हुए और दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन किया. और शिक्षा है व्यापार नही, यह लूट हमें स्वीकार नही की हुंकार भरी। रविवार को राजस्थान से संयुक्त अभिभबक संघ सहित एनसीआर ( गजियाबाद , गौतमबुद्ध नगर , गुड़गांव , फरीदाबाद , मोदीनगर ) की पेरेंट्स एसोसिएशन इस धरने में शामिल हुए।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में कोरोना वैश्विक महामारी के कारण शिक्षा का 2020/21 का पूरा सत्र महामारी की भेंट चढ़ गया, देशभर के स्कूल खुले नहीं लेकिन निजी स्कूल विद्यार्थियों पर परीक्षण कर ऑनलाइन क्लास के नाम पर पूरी फ़ीस वसूली करने में लग गये। यह लूट बेइंतहा हो, इसके लिये छोटे से छोटे बच्चे की भी ऑनलाइन क्लास चलाई गई। अभिभावकों को अपने बच्चों को मोबाइल / लैपटॉप /कंप्यूटर की स्क्रीन से दूर रहने का सबक सिखाने वाले स्कूल संचालक अब उन्हें ऑनलाइन क्लास का दबाव बनाने लगे। नृत्य, खेल से लेकर संगीत और घुड़सवारी और तैराकी, सभी क्लास बेबाकी से ऑनलाइन चलाकर अभिभावकों को लूटने की साजिश रचते रहे।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष सीमा त्यागी ने बताया कि इस कोविड़ कि परिस्थिति में अभिभावकों सबसे बड़ी मार बेरोजगारी का सामना करना पड़ा इसके बाद अब ये निजी स्कूल संचालक तरह-तरह के प्रोपोगंडे रचकर अभिभावकों को ना केवल प्रताड़ित कर रहे है बल्कि अब उन्हें अपमानित भी करने लगे है। अभिभावकों से ऐसा बर्ताव हो जैसे वह इस देश के नागरिक ना होकर आंतकवादी है पाकिस्तानी है। जबकि निजी स्कूल संचालकों को देखना चाहिए था अभिभावकों की पीड़ा को समझना चाहिए था किंतु अभिभावकों को राहत देने की बजाय इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल, बिजली बिल और लैपटॉप का अतिरिक्त बोझ और मंड दिया और उसके बावजूद जबर्दस्ती फीस वसूलने का दबाव बना रहे है जो देश के अभिभावकों के साथ खिलवाड़ है अत्याचार है।
गुरुग्राम पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष प्रदीप रावत ने कहा कि निजी स्कूलों की हठधर्मिता और केंद्र व राज्य सरकारों की चुप्पी ने अभिभावकों पर बच्चे के स्वास्थ्य तक का बोझ जबर्दस्ती ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर मंड दिया आज बच्चा का ऑनलाइन क्लास पढ़ने के चलते नजरें कमजोर हो गई और चश्में लगवाने का भी एक अतिरिक्त बोझ अभिभावक पर पड़ा। निजी स्कूल के मालिक बहुत खुश है, इसलिए नहीं कि वह बच्चों से जुड़ पाये, यह काम तो उनके स्कूल में कार्यरत कर्मचारियों का है, स्कूल मालिक इसीलिए खुश थे, कि अब वो ऑनलाइन क्लास चलाकर पूरी फ़ीस लेने का दावा कर रहे है और मोटा मुनाफ़ा इस वैश्विक महामारी में अभिभावकों को प्रताड़ित कर कमाने की योजना को सरकारों के जरिये अंजाम दे रहे है।
गौतमबुद्ध नगर पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष सुखपाल सिंह ने कहा कि जब कोविड़ लगा तो अभिभावकों ने सर्व प्रथम स्कूलों से गुहार लगाई नही माने तो अभिभावक सड़कों पर उतरे और राज्य की सरकारों से मांग की धरना, प्रदर्शन, अनशन आदि तक अभिभावकों को करने पड़े उसके बावजूद भी राज्य सरकारों ने अभिभावकों को राहत ना देते हुए ठोकरे खाने पर मजबूर कर दिया। अभी भी अभिभावक सरकार की और टिकटिकी लगाये बैठे थे कि सीधे न सही, अपनी नियामिक संस्थाओं द्वारा, शिक्षा विभाग द्वारा, फीस रेगुलेशन कमेटियों द्वारा, या स्वयं प्रशासन या शासन को आगे बढ़ाकर, इन बेलगाम निजी शैक्षिक संस्थाओ को मनमानी करने से रोकेगी और ऑन लाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारण कर पेरेंट्स को राहत देगी लेकिन सरकार तो पूरे कोरोना काल में इस तरफ से आँख और कान बंद कर बैठ गयी और निजी स्कूलो को खुलकर संरक्षण दिया गया और अभिभावको की जायज मागो को दर किनार कर दिया गया देश के अनेको राज्यो के अभिभावको ने अपने अपने राज्यो की सरकारों को आंदोलन , ज्ञापन ,ट्वीटर और वीडियो के माध्य्म से पीड़ा से अवगत कराया लेकिन राज्य सरकारे निजी स्कूलों के दबाब में आकर चुप्पी साधे बैठी है।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली के जंतर-मंतर दिया गया धरना केंद्र व राज्य की सरकारों और निजी स्कूलों के लिए आईना है अगर अभिभावकों को राहत नही मिलती है, शिक्षा के नाम पर जारी लूट पर लगाम नही लगती है तो इससे भी बड़ा और वृहद आंदोलन पूरे देशभर के अभिभावकों का धरना, प्रदर्शन, अनशन देखने को मिलेगा।
राजस्थान और एनसीआर के पेटेंट्स एसोसिएशन ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है कि जिस प्रकार आप देशभर में अपनी मन की बात करते है पिछले एक साल से देशभर का अभिभावक पीड़ित और प्रताड़ित हो रहा है कम से कम एक बार शिक्षा को लेकर, बच्चो को लेकर और अभिभावकों लेकर उनकी भी मन की बात सुने और अभिभावकों की इन 10 मांगों पर कार्य कर अभिभावकों को राहत प्रदान करे।
1 - एक देश, एक शिक्षा, एक पाठ्यक्रम लागू किया जाए एवम देश के सभी स्कूलो में एन.सी.ई.आर.टी का पाठ्यक्रम एवं किताबों को सख्ती से लागू करने का आदेश जारी किया जाए।
2- कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश मे लगे तीन महीने के सम्पूर्ण लॉक डाउन समय ( अप्रैल ,मई जून ) की फीस माफी का आदेश राज्य सरकारो को जारी किया जाय
3 - कोरोना वैश्विक महामारी के कारण शिक्षा सत्र 2020/21 में बंद रहे निजी स्कूलो की फीस का निर्धारण ऑन लाइन क्लास के अनुसार निर्धारित करने का आदेश राज्य सरकारो को जारी किया जाये।
4- निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा सत्र 2021/22 में फीस वृद्धि करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जाए।
5- आर .टी. ई एक्ट का निजी स्कूलों द्वारा पालन कराने के लिए प्रत्येक राज्य में कमेटी का गठन किया जाए
6 - देश के सरकारी विद्यालयो को भी क्षेत्रीय बोर्ड की जगह सी.बी.एस.ई या ऐसे अन्य किसी राष्ट्रीय बोर्ड से पंजीकृत कर तेजी से जीर्णोद्धार करके बच्चों के लिये मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए।
7- राज्य सरकारो को निजी स्कूलों की पिछले 10 साल की बेलैंस शीट जांच के आदेश जारी किये जायें और जांच में पाये जाने वाले सरप्लस फण्ड से सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया जाए.
8- देश के सभी निजी स्कूलों का संचालन एवं फ़ीस आदि निर्धारण एवं अन्य मानकों को सुचारू रूप से लागू करने के लिये नियम क़ानून हों और इनको लागू कराने के जिम्मेदारी वाले विभाग पर प्रवर्तन निदेशालय कड़ी निगरानी हो।
9 - आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसी भी अभिभावक द्वारा फीस ना दे पाने की स्थिति में किसी भी निजी स्कूल द्वारा दसवीं और बारहवीं का एडमिट कार्ड ना रोकने का आदेश जारी किया जाए
10- कक्षा एक से आठ तक के बच्चो को नो डिटेंशन पालिसी के तहत बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट करने का आदेश सभी राज्यो की सरकारों को जारी किया जाए
यह प्रदर्शन इस शपथ के साथ पूर्ण हुआ कि अभिभावक विद्यार्थियों के हितों के लिये किसी भी हद तक जाकर शिक्षा माफियाओं को रोकेंगे। अभिभावकों ने यह प्रण भी लिया कि वह सरकार को मजबूर करेंगे कि ऐसी व्यवस्था की जाये जिससे शिक्षा का व्यवसाईकरण न हो और यह बिकाऊ उत्पाद बन कर न रह जाये।
धरने को दिया समर्थन-- गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन, गौतमबुद्ध नगर पेरेंट्स वेलफेयर सोसाइटी, गुड़गांव पेरेंट्स एसोसिएशन, संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान, पालक संघ मध्यप्रदेश, पालक संघ छत्तीसगढ़, पेरेंट्स एसोसिएशन झारखंड.