From - SANJOY SHREE
सवाल ये नही कि वह सही सलामत मिल गई बल्कि सवाल ये है कि वह कौन सी परिस्थिति थी, जिसकी वजह से उसे घर छोड़ना पड़ा। आये दिन इस तरह कितनी लड़कियाँ घर छोड़कर भाग जाती हैं और असामाजिक तत्वों का शिकार बनती हैं। हम अभी भी बालिग होती लड़कियों को घर, स्कूल, और सामाजिक स्तर पर उस तरह की शिक्षा देने में कहीं ना कहीं असफल हो रहे हैं कि लड़कियाँ अपना भला बुरा ख़ुद समझ पाएं। सबसे अधिक लड़कियों का शोषण किया जाता है।
किसे पता नहीं है कि मुम्बई के किस इलाके में देह व्यापार होता है लेकिन हम कभी भी इसके लिए आंदोलन या विरोध नही करते। हम ये सोच कर चुप रह जाते हैं कि वहाँ मेरी लड़की थोड़े ही है। यह दुर्भाग्य है नारियों का कि पूरे विश्व में उनकी स्मिता रोज़ तार तार होती है। मैं कभी भी महिला संगठनों को इन सब के विरोध में खड़े होते नही देखा। जहाँ नारी को वेश्या की संज्ञा दी जाए वैसे समाज को कभी भी सभ्य समाज नही कहा जा सकता। मुझे तो आश्चर्य होता है कि महाभारत काल में भी कर्ण ने द्रौपदी को वेश्या की संज्ञा से पुकारा था। नारियों का यह अपमान सदियों से चलता आ रहा है। आख़िर इसका अंत कब होगा? शायद इसके लिए नारियों को ख़ुद जागृत होना होगा।हर नारी को दुर्गा बनना होगा ताकि लोग हर नारी को श्रद्धा की निगाह से देखें।