गड़े मुर्दे उखाड़ना मेरी आदत नहीं लेकिन जो सरकार नेताजी और शास्त्री जी के मौत के रहस्यों पर से पर्दा न उठाये तो वैसी सरकार को भी सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं. प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक, सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने अब तक देश में शासन करने वाली सभी पार्टियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस औऱ लाल बहादुर शास्त्री के मौत के प्रकरण पर सत्यता उजागर नहीं करने हेतु हाशिये पर लेते हुये कहा कि जिसने देश को स्वाधीनता दिलाने में बढ़ - चढ़कर भाग लिया, उसे आज तक देश की कोई भी सरकार इन्साफ नहीं दिला पाई और मुझे लगता है कि अब तक की सरकारें इस मामले में सक्षम भी नहीं है. अब तक शासन करने वाली सभी सरकारों को किस बात का भय है?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत या रहस्यमयी परिस्थितियों में अदृश्य हो जाने के संबंध में सभी चुप्पी साधे हुये हैं. ठीक इसी तरह भारत के यशस्वी द्वितीय प्रधानमंत्री जिनकी 18 महीनों की कार्यकाल अद्वितीय था के मौत के कारणों पर से भी पर्दा अभी तक नहीं उठा है. अपने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन दोनों विभूतियों के मौत के प्रकरण के रहस्यों पर से पर्दा उठाने की भारत की जनता को बहुत ही आशा थी लेकिन लगता है कि वे भी किन्हीं मजबूरियों के चलते इसे ठंडे बस्ते में डाले हुये हैं. जिससे भारत के राष्ट्र भक्तों के अंदर एक रोष है जो भविष्य में कभी भी लावा बनकर फूट सकता है क्योंकि न भारत की जनता नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ही भूल सकती है और न ही लाल बहादुर शास्त्री को।
ऐसे भी प्रमाण मिले हैं कि 1966 में ताशकंद समझौते के दरम्यान नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री जी के बीच एक संक्षिप्त मुलाकात हुई थी और अगले दिन एक लंबी मुलाकात होने वाली थी और जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री नेताजी के सम्बंध में राष्ट्र वासियों को अवगत कराने वाले थे. सम्भवतः उन्हें अपने साथ भारत लेकर आने वाले थे लेकिन उससे पहले ही शास्त्री जी की हत्या ताशकंद में कर दी गई और नेताजी के रहस्यों पर से पर्दा उठते - उठते रह गया और शास्त्री जी भी अपने मौत के रहस्यों में खो गये l
मुझे तो ऐसा लगता है कि तत्कालीन भारत की सरकार की मिली भगत तो थी ही साथ में अन्तर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों में अमेरिका और रूस की भूमिका भी संदेह के घेरे में क्योंकि दोनों विभूतियों में एक बात की समानता थी कि वे अपने देश को सशक्त और महाशक्ति के रूप में देखना चाहते थे जो कि तत्कालीन समय के महाशक्तियों को यह पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने देश के अंदर बैठे गद्दारों से हाथ मिलाकर दो विभूतियों को एक होने से रोका ही नहीं अपितु अपने भारत को कम से कम 50 साल पीछे की ओर धकेल दिया l
लेकिन राष्ट्र की जनता इन दोनों विभूतियों को न भूली है और न ही भूलेगी इसलिये राष्ट्र भक्तों ने इन रहस्यों और षड्यंत्रों पर से पर्दा उठाने के लिए नेताजी के नाम पर एक पार्टी गठित करने का फैसला किया है ताकि प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी अपने बैनर तले इन दोनों विभूतियों को इन्साफ दिलाने हेतु आंदोलनरत रहे और सत्ता प्राप्ति तक हर हाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री जी को इन्साफ दिला सके और राष्ट्र को प्राप्त सत्ता हस्तांतरण की कतिपय आजादी को पूर्ण आजादी में बदल सके क्योंकि प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी हर मामले में आजादी चाहती है चाहे वह भूख से आजादी हो या गरीबी से या मानसिक स्वतंत्रता से हो, कहने का तात्पर्य यह है कि प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी की नजर देश की प्रत्येक समस्या पर है और उसके निराकरण हेतु रोड मैप भी। इसलिये मैं अजीत सिन्हा, राष्ट्रीय संयोजक, प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी आप देश के प्रत्येक नागरिक से अपील करता हूं कि आप सभी इस पार्टी में शामिल होकर राष्ट्र सशक्तिकरण का अंग बने और साथ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री जी को इन्साफ दिलाने में मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलें और इस हेतु आप मेरे whattsapp no #8271555713 और calling no #6202089385 पर संपर्क कर सकते हैं l जय हिंद