From - Ashok Kumar
बिहार मे बढते अपराध कि घटनाओं को लेकर आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है, लगता है कि सुसासन सरकार का नहीं अपराधियो कि राज्य है । बिहार पुलिस अपराध रोकने मे असफल साबित हो रही हैं । अपराध रोकने के नाम पर सिर्फ जानता को परेशान किया जा रहा है । जगह जगह चौरकिया बनाई गई हैं जहाँ बैठ कर सिपाही सिर्फ़ वाहनों कि जांच पर ध्यान केन्द्रित करते है या जाँच के नाम पर अवैध वसुली करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
अपराधी निडर होकर अपराध करते है ऐसा लगता हैं जैसे यातायात नियम का उल्लंघन करना ही सबसे बड़ा अपराध है. शायद इसलिए हत्या, लुट, बलत्कार ,गेसिंग (माटका) जैसे जघन्य अपराध आये दिन होते रहते है परन्तु उन अपराधियों को पकड़ने के बजाय पुलिस लोगों के वाहनों के कागज, हेलमेट कि जांच मे लगीं रहती है।
भ्रष्टाचार का नमूना देखना है तो Bihar DTO ऑफिस में देखने को मिलता है। बिना ब्रोकर के एक भी काम नहीं होता है। ड्राइवर लाईसेंस हो या रजिशटेशन बिना रिश्वत के नही बनाया जाता है. क्या यह सुसासन सरकार को पता नहीं है? बिहार मे शराब केवल नाम का बंद है. शराब होम डिलीवरी हो रहा हैं । (बिहार के CID का क्या रौल है पता नहीं) सीतामढी ज़िला की घटना इस का उधाहरण है। "कोई ऐसा थाना नही,जहाँ अपराधीयो का बोल बाला नही।"