Report from - भूपेन्द्र औझा
वैश्य, विश्नोई, सिंधी समुदाय का प्रतिनिधि नहीं
प्रभारी माकन,मुख्यमंत्री गहलौत आयेंगे, पायलट टोक जायेंगे
भीलवाड़ा। काग्रेंस राष्ट्रीय महामंत्री एवम प्रदेश प्रभारी अजय माकन की लम्बी मशक्कत के काग्रेंस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के प्रदेश पदाधिकारियों का मनोनयन हो गया। मशक्कत ओर उलझन कितनी थी कि प्रभारी माकन को दो दफे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ लम्बी बैठक करनी पड़ी। इसके बाद भी माकन को प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को दिल्ली बुला, काग्रेंस राष्ट्रीय संगठन सचिव निजामुद्दीन को साथ बैठा कर मामला सुलझाना पडा। खबर है कि तब सीधे हाईकमान के निर्देश पर सचिन पायलट के कुछ समर्थको को लेने, प्रमुख पद देने का फैसला हुआ। उसके बावजूद भी प्रदेश संगठन में दुसरे नम्बर का पद प्रदेश संगठन महामंत्री पद का मनोनयन नहीं हो सका। शहरों में बडा असर रखने वाले वैश्य, सिंधी समुदाय का तथा मुख्यमंत्री के गृह संम्भाग जौधपुर मे बाहुल्य विश्नोई समुदाय का प्रतिनिधित्व छुट गया।
नाराज तो उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से राजपूत समाज भी है। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पीसीसी पदाधिकारी चयन बाबत उनसे बात तक नहीं करने का प्रेस से ऊल्लाहना भेजा। वहीं पीसीसी पूर्व सचिव करणसिंह ने राजनीति में तथा प्रदेश सत्ता में खासा दखल रखने वाले राजपूत समुदाय को कोरा एक पद वो भी सचिव का देने पर नाराजगी जाहिर की। काग्रेंस पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट जयपुर है तथा उन्होंने पहले ही 10ओर 11 जनवरी को अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र टोक दौरे का प्रोग्राम बना रखा था। वैसे भी इसी हफ्ते जयपुर मे हुये दिल्ली किसान आंदोलन समर्थन विधायक धरना प्रदर्शन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आगमन पर सचिन पायलट ने खडे हो हाथ जौड मुख्यमंत्री का अभिवादन किया था। दोनो धरना प्रदर्शन में एक घंटे से अधिक समय तक पास पास बैठे, पर दोनों में कोई संवाद नहीं। यही आलम शाम मुख्यमंत्री द्वारा अपने निवास पर विधायकों को दिये भोज मे रहा। गहलोत-पायलट काफी देर कूर्सी पर पास पास बैठे, पर बोलचाल बंद! मैने पिछले महीने अपने समाचार मे बताया था," "मार्च माह मे प्रदेश सत्ता संघर्ष के बाद से मुख्यमंत्री गहलोत का सचिन पायलट से मिलनाजुलना-बातचीत करना बंद है। इससे पहले गुजरे डेढ बरस जो उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ व्यवहार किया, वही अब मुख्यमंत्री-पूर्व उपमुख्यमंत्री के साथ दौहरा रहे है।"इस सच के दीदार आपने विधायक धरना प्रदर्शन में देख लिये!खैर, बडो की बाते-बडे ही निपटे!!
काग्रेंस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की करीब पांच माह बाद मनोनीत हुई नयी छोटी टीम मे जातिगत समीकरण को खंगालने मे सबसे ज्यादा 6जाट, 5एसी, 5 एसटी, 5ब्राह्मण, 4 गूर्जर, 3मुस्लिम, 3यादव, 2पटेल बाकी 1-1 माली, सुथार, सीरव समुदाय के नेताओं को पदाधिकारी बनाया गया है। आश्चर्यजन रुप से क्रिश्चियन समुदाय से पीसीसी मे वरिष्ठ पूर्व पदाधिकारी मुमताज मशीह का मनोनयन नहीं होना रहा है। मुमताज मशीह को पीसीसी कामकाज का लम्बे समय से अनुभव रहा है। जबकि क्रिश्चियन समाज से अभी ओर किसी को मौका नहीं दिया गया है। संकेत हैं कि पीसीसी मे अब दो सचिव जसवंत गूर्जर ओर ललित तुनवाल कामकाज सभालेगे। प्रदेश महासचिवो को संभाग ओर सचिवो को जिलो का आवंटन हो गया। साथ ही आला संगठन सूत्र बता रहे, सचिव एक पखवाड़े मे प्रभार जिले का दौरा कर नव जिलाध्यक्ष के मनोनयन बाबत क्षेत्र के नेता-कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर तीन सदस्यों का पैनल तैयार कर प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को दे देगे। बाते तो पीसीसी पदाधिकारियों के साथ जरूरी तीन विधानसभा उपचुनाव वाले जिलो चुरु, भीलवाड़ा, राजसमंद मे जिलाध्यक्षो के मनोनयन होने की थी। पर नहीं हुआ! उपचुनाव सर पर, फरवरी में होने की है। आगे देखते है! होता क्या है?