संचालकों के दबाव में स्कूल खुलते है तो सड़को पर उतरेंगे अभिभावक
स्कूल खोलने पर क्या मोनिटरिंग व्यवस्था रहेगी, अब तक कितने कर्मचारी कोविड़ आये उनका डाटा उपलब्ध करवाए सरकार
जयपुर। स्कूलों द्वारा टीचरों और व्यवस्थापकों की सैलरी का हवाला देकर स्कूल खोले जाने का लगातार दबाव राज्य सरकार पर बनाया जा रहा है जिस पर शिक्षा विभाग कार्यवाही करने को लेकर उत्सुकता के साथ जुटा है। संयुक्त अभिभावक संघ ने सोमवार को विज्ञप्ति जारी कर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के उस प्रस्ताव निंदा की है जिसमें उन्होंने 1 या 4 जनवरी से स्कूलों को खोलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा है जबकि अभी तक यह निर्धारित नही किया गया है कि इन 4 या 7 दिनों में राज्य सरकार 50 हजार स्कूलों एवं 11 लाख शिक्षकों की कोविड़ जांच पुख्ता करेगी।
प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार को सर्व प्रथम स्कूलों और शिक्षकों के जांच की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, उसके बाद बच्चों का ट्रायल बेस लेना चाहिए। क्योकि अन्य देशों से कोविड़ के नए ऐसे केस निकलकर आ रहे है जो सीधे बच्चों को अपनी चपेट में ले रहे है। साथ ही राज्य सरकार को यह भी जानकारी देनी चाहिए कि अब तक इस कोविड़ दौर में जितने भी सरकारी विभाग खोले गए उनमे कितने कर्मचारी कोविड़ पॉजिटिव आये, उनका डाटा सार्वजनिक करना चाहिए।
अभिषेक जैन ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि अब तक राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने कितने स्कूलों की किस स्तर पर जांच की गई है, कितने स्कूलों के पास समुचित व्यवस्था है, क्या स्कूलों ने बच्चों को कोविड़ से बचाने की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है जिससे अभिभावक सन्तुष्ट हो सके। राज्य सरकार ने इस कोविड़ काल मे 50 हजार निजी स्कूलों और 11 लाख शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए क्या व्यवस्था रखी है इसकी जानकारी भी सार्वजनिक करनी चाहिए। इस सबकी व्यवस्था करे बगैर अगर निजी स्कूलों की हठधर्मिता के दबाव में आकर स्कूल खोले जाते है तो अभिभावकों को मजबूरन सड़कों पर उतरकर अपने बच्चों की सुरक्षा स्वयं करनी पड़ेगी। जब तक व्यवस्था सुनिश्चित ना हो जाये तब तक कोई भी अभिभावक बच्चो को बिल्कुल भी स्कूल नही भेजेंगे।
अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि ने केवल जिम्मेदारियों को छुपा कर एवं स्कूलों का दबाव लेकर अगर स्कूल खोलने के आदेश दिए जाते है तो राज्य सरकार अभिभावकों की भावना से खिलवाड़ करने जैसा होगा। बिना व्यवस्था सुनिश्चित किये अगर कोई बच्चा या टीचर कोविड़ की चपेट में आया तो उसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी होगी। केवल फीस वसूली को लेकर स्कूल खोलने का आदेश देना राजधर्म का अपमान करना होगा। एक तरफ विभिन्न देशों से कोरोना को लेकर प्रभावित करने वाले आंकड़े सामने आ रहे है, अभी हॉल ही में 1 हजार से नए कोविड़ के पेसेंट देश मे आये है जिसमे से कुछ राजस्थान में भी पहुंचे है। नए कोविड़ से विभिन्न देश पुनः प्रभावित होने पर मजबूर है जिसके चलते लॉकडाउन करने पर मजबूर होना पड़ा रहा है।
क्या राजस्थान अन्य देशों की तर्ज पट राजस्थान में भी लॉकडाउन की स्थिति उतपन्न करने की योजना को अंजाम दे रही है। पूर्व में कोरोना की स्थिति के दौरान देश का अनुभव भी बेहद प्रभावित करने वाला है हरियाणा ने अक्टूबर में स्कूल खोलने का निर्णय लिया था जिसके पहले ही दिन 125 से अधिक बच्चे और 10 अधिक टीचर कोरोना की गिरफ्त में आने के बाद तत्काल स्कूलों को बंद करना पड़ा। जबकि स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री कई बार अपने बयानों में मणिपुर, आंध्र प्रदेश, मिजोरम के अनुभवों को साझा कर चुके है कि एक दिन में स्कूल खोलकर बन्द करने पड़े। जबकि दिल्ली ने जब तक वेक्सीन नही तब तक स्कूल नही का निर्णय लिया है तो मध्य प्रदेश ने 31 मार्च तक कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों को पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया है। इस स्थिति को देखने के बाद भी राज्य सरकार निजी स्कूलों की हठधर्मिता को बढ़ावा देता है तो प्रदेश का अभिभावक किसी भी कीमत पर इसे बर्दास्त नही करेगा।