वराह जयंती पर पूरे विधिविधान से हुआ भगवान वराह का महाअभिषेक

     यमुना तट पर असकुण्डा घाट का वातावरण श्रद्धा और भक्ति से उस समय पूरी तरह से भर गया जब वराह जयंती के अवसर शुक्रवार को भगवान वराह का पंचामृत महाभिषेक वैदिक मंत्रों के साथ किया गया। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के संस्थापक पं० अमित भारद्वाज ने यहां बताया कि भगवान वराह को विष्णु भगवान का तीसरा अवतार कहा जाता है। यद्यपि कोरोनावायरस के संक्रमण के भय से यमुना तट पर उस प्रकार की भीड़ नहीं थी जिस प्रकार की कोविड.19 से पहले हुआ करती थी। लोगों ने स्वत: सामाजिक दूरी बनाए रहते हुए इस धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया।



     वराह देव मन्दिर में सुबह से चहल पहल थी, सात बजे वातावरण में भक्ति उस समय नृत्य कर उठी जब अभिजित महूर्त में घंटे , घड़ियाल, झांझ और शंखध्वनि के मध्य भगवान का पंचामृत अभिषेक वैदिक मंत्रों के मध्य प्रारंभ हुआ। दूध, दही, खण्डसारी, घी एवं शहद से एक ओर क्रमश: अभिषेक हो रहा था दूसरी ओर श्रद्धालु ताली बजाकर भाव विभोर होते हुए उसमे सहयोग कर रहे थे। सबसे अन्त में औषधियों से अभिषेक हुआ इसके बाद सुगंध सेवा, वस्त्र अलंकरण, पुष्पहार सेवा कर आकर्षक श्रृंगार कर कर्पूर आरती की गई।


     अभिषेक की रश्म वराह मंन्दिर के सेवायत अभिषेक गोस्वामी एवं अमित भारद्वाज द्वारा निभाई गई। कार्यक्रम का समापन  चरणामृत वितरण से हुआ। आज ठाकुर का भव्य फूल बंगला सजाया गया था.