25% की सीमा तक भी चना खरीद नहीं करना - किसानों के साथ अन्याय है – रामपाल जाट 

     आज दूदू में हुई किसान महापंचायत की बैठक में सरकारों द्वारा किये जा रहे दस अन्यायों के विषय में चर्चा के उपरांत सर्वसम्मति से ‘प्रस्ताव’ पास हुआ I भारत सरकार द्वारा कुल उत्पादन में से 75% चना की उपज को खरीद की परिधि से बाहर करना अन्याय है, फिर 25% की सीमा तक भी 55,250 मेट्रिक टन चना की खरीद नहीं करना दूसरा अन्याय है। 25% की सीमा की काल्पनिक एवं निराधार तथ्यों पर गणना करना तीसरा अन्याय है। इस अन्याय पूर्ण गणना के आधार पर भी 10,620 क्विंटल चना खरीदे बिना ही तुलाई बंद करना चौथा अन्याय है। चना खरीद की उक्त मात्रा शेष होते हुए भी खरीद आरंभ नहीं कर, 10 जुलाई की वार्ता का उल्लंघन करना पांचवा अन्याय है। केंद्र एवं राज्य द्वारा विभिन्न योजनाओं में वितरण किए जाने वाला चना किसानों से नहीं लेकर नेफेड से खरीदना छठा अन्याय है।



     किसान कल्याण कोष का उपयोग कृषि उपज मंडी अधिनियम,1961 के प्रावधानों के विपरीत किया जाना तथा उस कोष का उपयोग उस कानून के अनुसार चना खरीद में नहीं करना सातवां अन्याय है। चना खरीद का भुगतान का 3 दिन में करने का भारत सरकार की मार्गदर्शिका में प्रावधान होते हुए भी 30 दिन तक भुगतान के लिए किसानों को तड़पाना आठवां अन्याय है। विलंब से भुगतान होने पर भी किसानों को उसका ब्याज नहीं देना नौवां अन्याय है। तुलाई की अवधि 90 दिन होने के उपरांत भी 63 दिन में तुलाई कार्य बंद करना दसवां अन्याय है। 


     इन सब अन्यायो को ‘भाग्य’ समझने के कारण सरकारें अन्याय करने में चूकती नहीं है। दूदू में आयोजित जागरूक किसानों की ‘किसान महापंचायत’ का दृढ़ मत है कि अन्यायों को ‘भाग्य’ समझकर सहने के कारण सरकार बारंबार अन्याय करती है। कोरोना काल में किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई की ओर धकेलना जन कल्याणकारी सरकारों की विफलता हैं। 
जाट ने बताया कि प्रदेश में किसानों ने कृषि कार्य छोड़ कर कोरोना काल का संकट झेलते हुए भी सरकारों से निरंतर अनुनय-विनय किया। चने से भरे ट्रैक्टरों को लेकर दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर कूच किया तो भी सरकारों की संवेदनहीनता के कारण किसानों को अन्यायो से छुटकारा नहीं मिला। इस स्थिति पर किसान अपना रोष प्रकट करते हुए संकल्प दोहराते हैं कि "न्याय प्राप्ति" तक संघर्ष निरंतर चलता रहेगा।


     गोपाल सैनी  (कार्यालय सचिव)  किसान महापंचायत ने कहा कि सरकारों से एतदद्वारा पुन: आग्रह है कि वे चने की खरीद आरम्भ करने का मार्ग प्रशस्त कर किसानो को न्याय दिलावेंI