मुश्किल में पड़ सकती है कैलाश-मानसरोवर यात्रा, सिर्फ COVID-19 ही नहीं ये भी हैं कारण

     दुनिया की सबसे दुर्गम पैदल धार्मिक यात्राओं में शुमार कैलाश-मानसरोवर यात्रा का आयोजन इस साल खासा मुश्किल भरा नजर आ रहा है. चीन में मौजूद मानसरोवर झील और पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शनों के लिए जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए कोरोना वायरस तो पहले से ही खतरा बना हुआ है. साथ ही मौसम का मिजाज भी यात्रा के आड़े आ रहा है. इस साल मार्च के महीने में भी पिथौरागढ़ के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी हो रही है.



मानसरोवर के मार्ग में 15-20 फीट बर्फ जमी हुई है - पिथौरागढ़ के तवाघाट से मानसरोवर यात्री लिपुलेख दर्रा पार कर चाइना में प्रवेश करते हैं. बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट पिथौरागढ़ में सर्दियों का जो सीजन इस बार दिसंबर में शुरू हुआ वो बदस्तूर अभी भी जारी है. आलम ये है कि इस विंटर सीजन में 25 से अधिक बार भारी बर्फबारी हो गई है. आए दिन हो रही बर्फबारी के कारण मानसरोवर यात्रा मार्ग पूरी तरह सफेद चादर में लिपटा हुआ है. अभी भी मानसरोवर यात्रा मार्ग में 15 से 20 फिट तक बर्फ जमा है.


   कैलाश-मानसरोवर जाने के लिए यात्रियों को 18 हज़ार फीट की ऊंचाई को पार करना होता है. बीते सालों तक इतनी बर्फबारी नही होती थी, लेकिन इस बार हिमालय में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला है. बर्फबारी होने से अब तक मानसरोवर यात्रा मार्ग को खोला नहीं जा सका है. पिथौरागढ़ के डीएम विजय कुमार का कहना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में तैनात बीआरओ और आईटीबीपी को रास्तों को खोलने को कहा गया है, लेकिन आए दिन हो रही बर्फबारी से रास्तों को खोलने में खासी दिक्कत आ रही है.

कुमाऊं मंडल विकास निगम का प्लान बी भी तैयार है - मानसरोवर यात्रा का संचालन करने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के अध्यक्ष केदार जोशी को भरोसा है कि यात्रा शुरू होने तक कोरोना का संक्रमण तो खत्म हो ही जाएगा साथ ही मौसम में भी सुधार हो आएगा. लेकिन सवाल ये बना हुआ है कि आखिर मात्र 2 महीनों में दो देशों के बीच होने वाली इस धार्मिक यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कैसे होंगी? हालांकि केएमवीएन ने प्लान बी भी तैयार किया है, जिसके तहत मानसरोवर यात्रा न होने पर भारतीय सीमा में होने वाली आदि कैलाश यात्रा को व्यापक रूप में किया जाएगा