निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में फांसी की सजा पाने वाले चार दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति का पता लगाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में शनिवार को एक याचिका दाखिल की गई है। नए डेथ वारंट के अनुसार दो दिन बाद तीन मार्च सुबह छह बजे चारों दोषियों को फांसी की सजा दी जानी है।
इस जनहित याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह निर्भया मामले में चारों दोषी की शारीरिक और मानसिक स्थिति के बारे पता लगाए। दोषी पवन कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका दायर कर मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का आग्रह किया। पवन को तीन अन्य दोषियों के साथ तीन मार्च को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए सत्र अदालत ने डेथ वारंट जारी किया है।
पवन के वकील एपी सिंह ने बताया कि उनके मुवक्किल ने सुधारात्मक याचिका दायर कर कहा है कि उसे मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए। पवन चारों मुजरिमों में अकेला है, जिसने अभी तक सुधारात्मक याचिका दायर करने और इसके बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया था।
दक्षिणी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात छह लोगों ने चलती बस में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। इस सनसनीखेज अपराध के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी, जबकि छठा आरोपी किशोर था। उसे तीन साल सुधारगृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।