भारत ने अमेरिका का साथ देकर शुरु की तैयारी - कश्मीर के मामले में तुर्की ने जिस तरह भारत की पीठ में छुरा घोंपा है, वह उसे भारी पड़ने वाला है. भारत ने इसका जवाब कूटनीति से देते हुए सीरिया में तुर्की की बमबारी का कड़ाई से विरोध किया है. वहां से अमेरिकी फौज के हटते ही तुर्की ने कुर्द इलाके में गोलीबारी शुरु कर दी है. हालांकि अमेरिका ने इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ तुर्की को चेतावनी ने दी थी. अब भारत ने अमेरिका का समर्थन करके तुर्की की मुश्किलें बढ़ाने का फैसला किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कश्मीर पर तुर्की के धोखे का जवाब कूटनीति से देने का फैसला किया है. भारत ने सीरिया में तुर्की के जुल्मों सितम का जमकर विरोध करने का फैसला किया है.
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान - भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि ''हम उत्तर-पूर्वी सीरिया में तुर्की की तरफ से एकतरफ सैन्य कार्रवाई से चिंतित है. तुर्की की यह कार्रवाई क्षेत्र में स्थिरता को बिगाड़ेगी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगी. साथ ही, मानवता और स्थानीय नागरिकों के लिए भी काफी चिंता का विषय है. हम तुर्की से यह कहते है कि वे सैन्य हमले पर संयम बरते और सीरिया की स्वायत्ता का सम्मान करे. हम सभी मुद्दों को बातचीत और चर्चा के जरिए समाधान करने की अपील करते हैं''. (File Photo - तुर्की जुल्मों सितम)
तुर्की ने सीरिया में कुर्दों पर किया है हमला - पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने की घोषणा कर दी थी. जिसके बाद मंगलवार और बुधवार से ही सीरिया के कुछ क्षेत्रों से अमेरिकी सेना वापस आने लगी. जिसके बाद सीरिया की फौज तुर्की की मदद से कुर्द इलाकों में हमला कर रही है. तुर्की ने बुधवार को सीमावर्ती क्षेत्र से कुर्द सेनाओं के खिलाफ पूर्वोत्तर सीरिया में सैन्य अभियान फिर से शुरू कर दिया है. तुर्की के लड़ाकू विमानों और तोपखानों ने सीरिया में कुर्द इलाकों पर भारी गोलाबारी शुरु कर दी है. जिसकी वजह से हजारों नागरिकों को अपने घरों से भागना पड़ा. तुर्की ने यह कदम अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद उठाया.
कुर्दों को दुश्मन मानता है तुर्की - कुर्द सेना ने आईएस आतंकियों के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ दिया था. जिसकी वजह से अमेरिका और भारत उनसे सहानुभूति रखते हैं. लेकिन तुर्की कुर्दों को अपना दुश्मन मानता है क्योंकि वह अपने अलग कुर्दिस्तान देश की मांग कर रहे हैं. जिसका तुर्की सैन्य बल के सहारे दमन कर रहा है.
कुर्दों पर जुल्म करने वाला तुर्की भारत को देता है नसीहत - तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर में सैन्य तैनाती के मुद्दे को उठाया था और वहां मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. लेकिन जो तुर्की कश्मीर में मात्र सैनिकों की तैनाती पर मानवाधिकारों के मुद्दा उठाता है वही तुर्की कुर्द बहुल इलाकों में लड़ाकू विमानों और भारी तोपखाने से हमले कर रहा है. जिसमें औरतें बच्चे मारे जा रहे हैं. इसी वजह से भारत सरकार ने सीरिया में कुर्दों पर तुर्की के हमले का सख्त विरोध करने का फैसला किया है. कश्मीर मामले पर भी तुर्की के बयान के बाद भारत सरकार ने तुर्की से कहा था कि वह मामले पर टिप्पणी करने से पहले जमीन हालात को समझे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तुर्की को साफ कर दिया की कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और दूसरे देशों को इसपर बोलने की कोई जरूरत नहीं है.
भारत से कोई उम्मीद न रखे तुर्की - भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि कश्मीर मामले में भारत को धोखा देने वाला तुर्की अब हमसे किसी किसी भी कूटनीतिक सहयोग की उम्मीद नहीं करे। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब तुर्की के हमले का मुद्दा उठेगा तो निश्चित तौर पर तुर्की के हमले का विरोध करेगा. कुर्द अल्पसंख्यकों के इलाकों पर लड़ाकू विमानों से हमला करने से कश्मीर मसले पर तुर्की का दोहरा रवैया दिखाई देता है. जहां वह कश्मीर में अल्पसंख्यकों की स्थिति का रोना रोता है, लेकिन दूसरी तरफ एक दूसरे देश के अल्पसंख्यकों के इलाकों पर भी हमला करता है.