संक्रमण रोग की तरह बढ़ रहे इन गांवों में कुंवारे, इस कारण नहीं होती शादी

     देश में भले स्वच्छता का नारा बुलंद हो रहा हो, मगर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के आस-पास के कई गांवों में कचरे ने बर्बादी ला दी है. एक तरफ जहां कचरे से बीमारियां बढ़ रही हैं तो वहीं दूसरी ओर 'कुंवारा रोग' बढ़ता जा रहा है. इन गांवों में कुंवारों की संख्या संक्रमण रोग की तरह बढ़ रही है.


   कानपुर के पनकी पड़ाव, जमुई, बदुआपुर सरायमिता गांव में गंदगी का अंबार इतना है कि लोग अपनी बेटियों की शादी इन गांवों के लड़कों के साथ नहीं करना चाहते हैं. इन गांवों में कानपुर नगर निगम का सॉलिड वेस्टेज यहां से सटा हुआ है जिसकी वजह से गांव में गंदगी, दरुगध और बीमारियां फैली रहती हैं. इसके कारण कोई भी अपनी लड़की की शादी इन गांवों में नहीं करना चाहता है.


बदुआपुर के संतोष राजपूत ने बताया कि यहां तालाब पाटकर कूड़ा प्लांट बना दिए गए हैं. यहां पर कई टन कूड़ा डम्प है. यहां गर्मियों में कोई नहीं रुकता क्योंकि यहां पर आग अपने आप पकड़ लेती है. यहां के 70 प्रतिशत लोग टीबी और दमा से ग्रसित हैं. बीमारी के कारण लगभग पांच सालों से यहां पर कोई शादी नहीं हो पा रही है. इसी वजह से नौजवानों का पलायन हो रहा है. अगर शादी होती भी है तो टूट जाती है. इसके आस-पास के गांव बनपुरूवा, कलकपुरवा, सुन्दर नगर, स्पात नगर यह सब तीन किलोमीटर के दायरे में हैं. सब लोग प्रदूषण और गंदगी की जद में रहने को मजबूर हैं.


इसी गांव की सोमवती का कहना है, "दमा और दुर्गन्ध वाली बीमारियां बहुत ज्यादा फैली हैं. मेरे भतीजे की शादी तय हो गई थी, लेकिन यहां का वातारण देखकर शादी टूट गई. हमारे गांव में कई सालों से कोई शहनाई नहीं बजी है. रिश्ते वाले तो गांव के लड़के देखने के लिए खूब आते हैं, लेकिन जब कूड़ा प्लांट, हवा और बीमारी का पता चलता है तो वापस हो जाते हैं." कानपुर की महापौर प्रमिला पाण्डेय ने कहा कि यह कूड़ा कई वर्षो से वहां डम्प हो रहा है. इसे खत्म करने का प्लान बनाया जा रहा है. इसके लिए कुछ किया जाएगा.