महाराष्ट्र में बेमौस बरसात की वजह से फसलों और किसानों को भारी नुक्सान हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 90 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसलों को नुकसान हुआ है. कुल मिलकर महाराष्ट्र के लगभग एक करोड़ किसानों को नुकसान हुआ है. बेमौसमी बरसात से सोयाबीन, कपास, जवार, बाजरा, मक्के समेत बहुत सी खरीफ की फसलें खराब हो गई हैं. (फोटो - दुविधा में किसान) लेकिन, अन्नदाता को इस त्रासदी से उबारने को कौन कहे यहां तो इसपर जमकर राजनीति शुरू हो गई है. दरअसल, हर पार्टी मुंबई में बैठकर सरकार बनाने की या तो जुगत बिठाने में लगी या फिर वेट एंड वॉच की भूमिका में व्यस्त है. मगर ग्रामीण महाराष्ट्र में इस सबसे बड़े मुद्दे को नजरअंदाज करके अपना वोट बैंक नहीं खोना चाहती. इसलिए उसने घड़ियाली आंसू बहाने शुरू कर दिए हैं या फिर दूसरे पक्ष को इसके लिए जिम्मेदार बताने पर जोर देना शुरू कर दिया है.
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे और कांग्रेस जैसी सभी पार्टियों ने सरकार बनाने के तमाम जुगाड़ के तहत ग्रामीण इलाकों का लगातार दौरा किया. इसी बहाने केंद्र, गवर्नर और पूर्ववर्ती बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है और जमकर कोसा है. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के संभावित मिलाप पर जितना वेट एंड वॉच के हिस्से को ग्रामीण महाराष्ट्र की तरफ भी मोड़ रही है.
बाजेपी नेता आशीष शेलार कहते हैं "हमारे सभी विधायक, सांसद और नेता किसानों की मदद के लिए जाएंगे." उधर, शिवसेना इस पूरे मुद्दे पर न सिर्फ खुद बल्कि अपनी 'नई प्रेमिका' एनसीपी का भी बचाव कर रही है. उसके सबसे मुखर नेता संजय राउत कहते हैं "उद्धव और शरद पवार हमेशा किसान के मुद्दे उठाते रहे हैं.''