महाराष्ट्र में बीजेपी के सरकार बनाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रविवार को हुई सुनवाई के दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब सभी पक्ष हंसने लगे. दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषर मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा हालात पर राजनीतिक दलों को सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की क्या जरूरत थी. उन्हें पहले बॉम्बे हाईकोर्ट जाना चाहिए था. इस पर सभी हंसने लगे. वहीं, कोर्ट ने उनसे पूछा कि आप किसका पक्ष रखेंगे. इस पर मेहता ने कहा कि रात को याचिका दायर की गई. इसलिए मैं कोर्ट में मौजूद हूं. बता दें कि शीर्ष अदालत के जस्टिस एनवी रमन्ना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. अब इस मामले पर कल यानी सोमवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी. (Photo - सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता)
सिब्बल ने सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट से मांगी माफी - राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के महाराष्ट्र में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को सीएम और एनसीपी के अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाने के फैसले के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दावा किया गया है कि उनके पास 154 विधायकों का समर्थन है. संख्याबल के आधार पर यह गठबंधन सबसे बड़ा दल था. उन्हें सरकार बनाने का पहला मौका मिलना चाहिए था. आज सुनवाई शुरू होते ही कांग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम आपको रविवार को बुलाने के लिए माफी मांगते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि कोई बात नहीं.
रोहतगी ने कोर्ट को बताया - मैं बीजेपी की तरफ से हूं > सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि मैं बीजेपी विधायकों की तरफ से हूं. मैं यहां सॉलिसिटर जनरल के तौर पर हूं. मुझे शनिवार रात 11 बजे याचिका मिली. मुझे नहीं मालूम राज्यपाल की तरफ से मैं रहूंगा या कोई दूसरा उनकी ओर से पैरवी करेगा. वहीं, रोहतगी ने कहा, ऐसी क्या आपात स्थिति थी कि छुट्टी के दिन सुनवाई हो रही है. इसी दौरान एसजी तुषार मेहता ने भी इस मामले पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने पर सवाल उठाया. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जल्द बहुमत परीक्षण की मांग की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अजित पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है. अजित के पास उनकी ही पार्टी का समर्थन नहीं है.
रोहतगी ने कहा - क्या तीन हफ्ते सो रहे थे तीनों दल - सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा, 'राज्यपाल का फैसला समीक्षा से परे होता है. राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए काम के लिए किसी भी कोर्ट के सामने जवाबदेह नहीं है. राज्यपाल ने सड़क से किसी को भी उठाकर शपथ नहीं दिलाई है. क्या तीन हफ्ते तक तीनों पार्टियां सो रही थीं. अगर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास बहुमत था तो सरकार बनाने का दावा पेश क्यों नहीं किया.' इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल का फैसला न्यायिक समीक्षा से परे है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि किसी को भी शपथ दिला दी जाए.