आइंस्टीन के सिद्धांत को दी थी चुनौती - सिंह करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताते हुए इसे समाज और बिहार के लिए एक बड़ा नुकसान बताया.
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में निधन हो गया. कहा जाता है कि वशिष्ठ नारायण सिंह ने आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी. 74 वर्षीय वशिष्ठ नारायण लंब समय से सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके एक करीबी ने बताया कि फिलहाल पटना में रहने वाले सिंह की आज सुबह तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद परिजन उन्हें लेकर तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. (फाइल फोटो - नारायण सिंह)
बिहार के भोजपुर के बसंतपुर के रहने वाले सिंह की तबीयत पिछले महीने भी खराब हुई थी, जिनका इलाज पीएमसीएच में ही कराया गया था, बाद में इन्हें छुट्टी दे दी गई थी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताया है और राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने का ऐलान किया है. वहीं खबर ये भी है सरकार वशिष्ठ नारायण सिंह के पार्थिव शरीर के लिए एक अदद एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कर पाई है. उनका परिवार एंबुलेंस के इंतजार में बैठा हुआ है.
कैसा था वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन - गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अपने शैक्षणिक जीवनकाल से ही कुशाग्र रहे थे. डॉ़ सिंह नेतरहाट आवासीय विद्यालय के छात्र थे और सन 1962 उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. पटना सायंस कॉलेज में पढ़ते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर कैली से हुई. उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रोफेसर कैली ने उन्हे बर्कली आकर शोध करने का निमंत्रण दिया.
सन 1963 में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए चले गए. 1969 में उन्होंने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ समय के लिए वह भारत आए, मगर जल्द ही अमेरिका वापस चले गए और वॉशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया. वो 1971 में वह भारत वापस लौट आये. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कलकत्ता में अध्यापन का कार्य किया. वे भूपेन्द्र नारायण मंडल विष्वविद्यालय, मधेपुरा के विजिटिंग प्रोफेसर भी थे. उन्होंने 'साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी' पर शोध किया था.