अब विदेशी चंदा नहीं ले सकेंगे - केंद्र सरकार ने देशभर के 1807 गैर-सरकारी संगठनों और अकादमिक संस्थानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट (एफसीआरए) के तहत रजिस्टर्ड एनजीओ और अकादमिक संस्थानों पर विदेशों से फंड लेने पर रोक लगाई गई है। इन संस्थानों पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप था। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान, इलाहाबाद एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट, गुजरात का यंग मेन्स क्रिस्चियन एसोसिएशन और कर्नाटक की स्वामी विवेकानंद एजुकेशनल सोसाइटी शामिल है।
अधिकारी ने बताया, “एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के रद्द होने के साथ ही इन सभी एनजीओ और अकादमिक संस्थानों पर विदेशी धन लेने से प्रतिबंध लग गया है। ये सभी संस्थान पिछले छह साल से विदेशी धन प्राप्त करने संबंधी वार्षिक आय और खर्च का ब्यौरा देने में विफल रहे थे, इसलिए इनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया। इन्हें बार-बार इसकी जानकारी दी जा रही थी लेकिन वे इसे अनसुना कर रहे थे।” एफसीआरए के गाइडलाइंस के मुताबिक, ''रजिस्टर्ड संस्थानों को हर वित्त वर्ष में आय और खर्च का ब्यौरा ऑनलाइन तरीके से जमा करना अनिवार्य होता है।''
2016 में कानून में संशोधन होने के बाद कई संगठनों पर गाज गिरी - जिन संगठनों को किसी विशिष्ट वर्ष में विदेशी योगदान नहीं मिलता, उन्हें भी उस वित्त वर्ष के लिए 'निल' रिटर्न भरना होता है। बेंगलुरू के एनजीओ इन्फोसिस फाउंडेशन ने खुद ही रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग की थी। अधिकारी ने कहा, “2016 में कानून में संशोधन के बाद इन्फोसिस फाउंडेशन एफसीआरए के दायरे में नहीं आता था। हमने मंत्रालय से विचार करने की अपील की थी। हमें खुशी है कि उन्होंने इसे स्वीकार किया।” 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के तुरंत बाद गृह मंत्रालय ने 14,800 से अधिक संगठनों का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द किया था।