ईरान को लेकर इन दिनों दुनिया के कई देश डरे हुए हैं। इसकी वजह बना है फोर्दो का अंडरग्राउंड न्यूक्लियर प्लांट। दरअसल, यह वही प्लांट है जहां पर ईरान यूरेनियम को संवर्धित किया जा रहा है। इस वजह से ये प्लांट भी पूरी दुनिया की निगाह में है। इससे पहले ईरान ने घोषणा की थी कि वह यूरेनियम के संवर्धन की सीमा को बढ़ाने जा रहा है। यह फैसला ईरान ने अमेरिका के परमाणु डील खत्म करने के बाद उठाया है। (File Photo - A Part of Iran Nuclear plant)
ईरान यएूस और JCOPA - जुलाई 2015 में ईरान और चीन, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन जर्मनी और फ्रांस के बीच ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन Joint Comprehensive Plan of Action या JCOPA का नाम दिया गया था। इसे ही बाद में ईरान-अमेरिका न्यूक्लियर डील कहा गया था। मई 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस डील से बाहर होने का एलान किया था। इसके बाद जुलाई 2019 ईरान ने डील को नजरअंदाज कर यूरेनियम संवर्धन की सीमा को बढ़ाने की घोषणा की थी। दोनों पक्षों के बीच जो डील हुई थी उसमें इसी प्लांट को प्रतिबंधित किया गया था। इस पर ही राजी होने के बाद यूएन से उस पर लगे प्रतिबंध हटाए गए थे।
सेंटरफ्यूज में गैस भरना शुरू - अब जबकि ईरान ने अपने बयान में कहा है कि उसके इंजीनियरों ने न्यूक्लियर प्लांट के सेंटरफ्यूजों में गैस भरनी शुरू कर दी है तो दुनिका का चौकना लाजिमी था। आपको बता दें कि यूरेनियम को संवर्धित करने में यह एक अहम प्रक्रिया है। यूरेनियम हेक्जाफ्लूराइड केमिकल में यूरेनियम का एक और फ्लाेराइन के छह एटम मिलकर प्रतिक्रिया करते हैं। इसके ही जरिए परमाणु बिजली घरों के लिए ईंधन तैयार किया जाता है। इसके अलावा न्यूक्लियर वैपंस के निर्माण में भी यह उपयोगी है। हालांकि ईरान न्यूक्लियर का संवर्धन तय सीमा से अधिक कर रहा है लेकिन यह उतना नहीं है जिस पर वह परमाणु हथियार बना सके।
2009 में पहली बार स्वीकार किया प्लांट का वजूद - पहले फोर्दो न्यूक्लियर प्लांट दुनिया की नजरों से छिपा हुआ था। 2009 में पहली बार ईरान ने इसकी मौजूदगी को स्वीकार किया था। अब पश्चिमी देशों को इस बात का डर सता रहा है ईरान परमाणु हथियार बनाने की तरफ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि ईरान की मानें तो वह पहले भी इस बात से इनकार करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम परमाणु हथियारों के निर्माण से जुड़ा है। ईरान हमेशा से अपने इस कार्यक्रम को पारदर्शी बताता रहा है। उसकी तरफ से कई बार अमेरिकी प्रतिबंधों से मुक्ति के लिए अपील भी की है। फोर्दो प्लांट पर वहां मौजूद आईएईए अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा।
ईरान के फैसले से पश्चिम नाखुश - ईरान के इस फैसले से सभी देश नाखुश तो हैं लेकिन वह यह भी मानते हैं कि ईरान से जो कुछ करने के लिए कहा जा रहा है वह पूरी तरह से एकतरफा है। उसको इसके बदले में कुछ नहीं मिल रहा है। ईरान के ताजा फैसले पर जहां रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चिंता जताते हुए पश्चिमी देशों को अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही है वहीं ईरान पर लगे प्रतिबंधों को अवैध भी बताया है। इसके अलावा फ्रांस ने इस पर ईरान से बात करने की बात कही है। जर्मनी ने अपील की है कि वह इन कदमों को वापस ले ले।